
पूर्व क्रिकेटर और टीम इंडिया के कैप्टन मोहम्मद अजहरुद्दीन अब सियासत की नई पिच पर उतर चुके हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल किया है।
राज्यपाल ने अजहर को मंत्री पद की शपथ दिलाई, जिससे राज्य सरकार में मंत्रियों की संख्या अब 16 हो गई है।
अजहरुद्दीन पहले से ही तेलंगाना कांग्रेस के वर्किंग प्रेसिडेंट थे। हाल ही में उन्हें राज्यपाल कोटे से विधान परिषद में नामित किया गया और अब उन्हें मंत्री पद से नवाज़ा गया है।
2023 में हारे चुनाव, अब मंत्री बने
पिछले विधानसभा चुनाव (2023) में कांग्रेस के किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार की जीत नहीं हुई थी। अजहरुद्दीन भी हैदराबाद की जुबली हिल्स सीट से हार गए थे।
अब जब उपचुनाव करीब है — और उस इलाके में 30% मुस्लिम वोटर हैं — तो कांग्रेस ने उन्हें मंत्री बनाकर एक सियासी googly फेंकी है।
विपक्ष का आरोप है कि यह कदम आचार संहिता का उल्लंघन है। भाजपा ने चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई है, कहते हुए — “रेवंत रेड्डी ने ये चौका वोट बैंक के लिए मारा है।”
विपक्ष की सियासी आपत्ति
जुबली हिल्स उपचुनाव 11 नवंबर को होना है। ठीक उससे पहले अजहरुद्दीन का शपथ लेना राजनीतिक हलचल मचा गया है। भाजपा ने कहा — “कांग्रेस अब कैबिनेट को भी election strategy board बना चुकी है।”
वहीं कांग्रेस समर्थक बोले — “अजहर की पारी अब सिर्फ बाउंड्री तक नहीं, बल्कि ministerial bench तक पहुँची है।”

कौन हैं मोहम्मद अजहरुद्दीन?
तेलंगाना के हैदराबाद में जन्मे अजहरुद्दीन ने 1984 में क्रिकेट करियर शुरू किया और 1990–1999 तक टीम इंडिया के कप्तान रहे।
उन्होंने 99 टेस्ट और 334 वनडे मैच खेले।
2000 में मैच फिक्सिंग विवाद में फंसे और BCCI ने लाइफ बैन लगाया — जिसे 2012 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने हटा दिया।
इसके बाद अजहर ने राजनीति का बल्ला उठाया — 2009 में कांग्रेस जॉइन की और उत्तर प्रदेश की मुरादाबाद सीट से सांसद बने।
बाद में वे हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन (HCA) के अध्यक्ष भी रहे।
“अब मंत्री जी फील्डिंग कहां करेंगे?”
राजनीति के इस मैदान में अजहरुद्दीन का ‘स्लिप कॉर्डन’ अब कैबिनेट टेबल है। कभी क्रिकेट में नॉट आउट रहने वाले अजहर, अब सियासत में क्लीन बोल्ड होने से बचने की कोशिश में हैं। लोग बोले — “अब बाउंड्री नहीं, नीति में रन बनाने होंगे!”

 
			 
                             
                            